जय जय भैरवि असुर भयाउनि पशुपति भामिनी माया। सहज सुमति वर दिय हे गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया।।-2 बासर रैनि सवासन शोभि...
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पशुपति भामिनी माया।
सहज सुमति वर दिय हे गोसाउनि
अनुगति गति तुअ पाया।।-2
बासर रैनि सवासन शोभित-2
चरण चन्द्र्रमणि चूड़ा।
कतओक दैत्य मारि मुंह मेललि
कतओ उगिलि करु कूड़ा।।
जय जय भैरवि असुर भयाउनि....
सामर वरण नयन अनुंरजित-2
जलद जोग फुलकोका।
कट कट विकट ओठ पुट पांड़रि
लिधुर फेर उठ फोका।।
जय जय भैरवि असुर भयाउनि....
घन-घन-घनन घुघुरू कत बजाए-2
हन-हन कर तुअ काता।
विद्यापति कवि तुअ पद सेवक
पुत्र बिसरू जनु माता।।
जय जय भैरवि असुर भयाउनि......
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