गायक : भरत शर्मा 'व्यासÓ एल्बम : निर्गुण, भोजपुरी, पारंपरिक अब ना लसारऽऽ आरे धोवले बानी चुनरी अब ना लसारऽऽ धोवले बानी ...
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गायक : भरत शर्मा 'व्यासÓ
एल्बम : निर्गुण, भोजपुरी, पारंपरिक
अब ना लसारऽऽ आरे धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
पियवा के रंग में , पियवा के रंग में
रंगवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
पांच रंग चुनरी पर सतरंग चोली
चांद सुरुजवा घट बीचे बोली
पांच ऽऽऽऽऽऽ
पांच पच्चीस से बचौले बानी सुनरी
अब ना लसारऽऽ
पांच पच्चीस से बचौले बानी सुनरी
अब ना लसारऽऽ
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
गुरूजी के रंग में होऽऽऽ
गुरूजी के रंग में रंगवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
सतगुरू दिहले चुनरी आयि सांचल
जतन से रखनि त आज तक बांचल
इहेऽऽऽऽऽऽ
इहे पहिनी के बनब गवनहरी
अब ना लसारऽऽ
इहे पहिनी के बनब गवनहरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
आऽऽऽऽ
मलिमलि के धोवनी चुनरी आयि धानी
राम नाम के साधु से प्रेम के पानी
मन रूपी ताऽऽन में
मन रूपी ताऽऽन में सुखवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
आठों अंग नव दुल्हिनी भइनी
दस दरवाजा पार कर गईनी
एक से ग्यारह हो गईनी हम
भरत पिया के भरत पिया के
ओढ़वले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ ओढ़वले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ धोवले बानी चुनरी
धोवले बानी चुनरी, धोवले बानी चुनरी
अब ना लसारऽऽ
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