In this song the great poet vidyapati describe about the description of radha's separation. Krishna has gone to mathura from gokul .At ...
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In this song the great poet vidyapati describe about the description of radha's separation. Krishna has gone to mathura from gokul .At such time radha is looking for someone who can tell about the her. In this song she is saying is there anyone who can send my letter to Krishna .In this sawan month my heart cannot bear Krishna's separation.
Ke Patiaa Lay Jaayat Re Is Maithili Sharda Sinha (A Tribute to Maithil Kokil Vidyapati) Lyrics Sung By Sharda Sinha. This Song Is Written By Vidyapati While Music Composed By Sharda Sinha. It’s Released By Saregama.
फिल्म/एल्बम: मैथिल कोकिल विद्यापति ( Film/Album: Maithil Kokil Vidyapati)
गायक: शारदा सिन्हा (Singer: Sharda Sinha)
गीतकार: विद्यापति (Lyrics: Vidyapati)
संगीतकार: शारदा सिन्हा (Music: Sharda Sinha)
लेबल: सारेगामा (Lable: Saregama)
के पतिया लए जायत रे
मोरा पियतम पास
के पतिय लए जायत रे
मोरा पियतम पास
हिय ना सहए असह दुख रे
भेल साओन मास
के पतिया लए जायत रे
मोरा पियतम पास
एकसरि भवन पिया बिनु रे
मोहि रहलो न जाए
एकसरि भवन पिया बिनु रे
मोहि रहलो न जाए
सखि अनकर दुख दारुन रे
जग के पतियाय
मोर मन हरि हरि लय गेल रे
अपनो मन गेल
गोकुल तेजि मधुपुर बस रे
कत अपजस लेल
विद्यापति कवि गाओल रे
धनि धरु मन आस
विद्यापति कवि गाओल रे
धनि धरु मन आस
आओत तोर मन भावन रे
एहि कार्तिक मास
आओत तोर मन भावन रे
एहि कार्तिक मास
ke patiya lay jaayat re
mora piyatam paas
ke patiya lay jaayat re
mora piyatam paas
hiya naa sahay asah dukha re
bhel saoon maas
ke patiya lay jaayat re
mora piyatam paas
eksari bhavan piya binu re
mohi rahlo na jaay
eksari bhavan piya binu re
mohi rahlo na jaay
sakhi ankar dukh daarun re
jag ke patiyay
mor man hari hari lay gel re
apano man gel
gokul teji madhupur bas re
kat apjas lel
vidyapati kavi gaaol re
dhani dharu man aas
vidyapati kavi gaaol re
dhani dharu man aas
aaot tor man bhavan re
ehi kartik maas
aaot tor man bhavan re
ehi kartik maas
इस गीत के माध्यम से महाकवि विद्यापति राधा के विरह वेदना का वर्णन कर रहे हैं। कृष्ण गोकुल से मथुरा चले गए हैं। ऐसे समय में राधा उनको अपना हालचाल पहुंचाने के लिए किसी खबरिया को देख रही है। गीत में राधा कहती है कि कौन है जो मेरी चिट्ठी मेरे प्रियतम कृष्ण के पास ले जाएगा। इस सावन मास में मेरा हृदय कृष्ण वियोग सह नहीं सकता है। प्रियतम के बिना इस भवन में मैं अकेली नहीं रह सकती हूं।
राधा अपनी सखी को संबोधित करते हुए कहती है कि दूसरे के दुख को कोई समझता नहीं है। प्रियतम मेरे हृदय को अपने मन के साथ हर कर चले गए हैं। राधा चिंता भी करती हैं कि गोकुल छोड़कर कृष्ण मथुरा में रहते हैं जो गलत बात है। इससे उनको अपयश ही हो रहा है। कवि विद्यापति राधा की सखी बनकर उनको भरोसा दिलाते हैं कि आपके प्रियतम इसी कार्तिक मास में आएंगे।
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