Rama's exile is mentioned in this song. Ram Lakhan, both brothers are going to Bun together with Sita. The whole city is crying. The p...
Ads by Eonads
Rama's exile is mentioned in this song. Ram Lakhan, both brothers are going to Bun together with Sita. The whole city is crying. The palace, the attari, the whole city is weeping and drowning in despair. How will Ramji wander from forest to forest leaving the throne of Ayodhya? They have a body like a flower, which will now walk on thorns and the thorns will be the seat. Now how will the fourteen years pass, when will we see them? Lakshman is weeping bitterly that Bhaiya does not keep on giving to sister-in-law's misery. Tears are flowing from the eyes. Here, blaming Kaikeyi, he says that by asking for a promise from King Dasharatha, what a disaster he did. Dasaratha performed the ritual of Raghukul, but by doing so you have become the cause of disgrace in Sagun. This happened because of you somewhere, damn you. You have pushed everything towards destruction.
फिल्म : घर गृहस्थी
गायक : उषा मंगेशकर अल्का याज्ञनिक
गीतकार: समीर
संगीतकार: चित्रगुप्त
लेबल: टी सीरीज
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
रोवेली सगरी नगरिया
महलिया अटरिया
टूटल मन के आस हो
छोड़ी अजोध्या के राज सिंहासन
रामजी कैइसे भटकिहें बन बन
छोड़ी अजोध्या के राज सिंहासन
रामजी कैइसे भटकिहें बन बन
फूल जैइसन इनकर बदनवां
के कांट के आसनवां बनि अब निवास हो
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
कैइसे कटी हो रामा चौदह बरिसवा
देखल न जाई भैया भौजी के दुखवा
कैइसे कटी हो रामा चौदह बरिसवा
देखल न जाई भैया भौजी के दुखवा
बिलखी बिलखी रोवे लक्ष्मण
आंखी मंे झरे सावन जियरवा उदास हो
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
राजा दशरथ से मंगलू बचनवां
कइलू सगुनवां में तू असगुनवां
राजा दशरथ से मंगलू बचनवां
कइलू सगुनवां में तू असगुनवां
रघुकुल रीतिया राजा निभवले
रघुकुल रीतिया राजा निभवले
निकलल सबकुछ तोहरे कारनवां
तोहके सौ बार कैकेई धिक्कार कैकेई
तू कइलू सब नास हो
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
राम लखन दुनु भैया
साथे में सीता मैया
चलेले बनवास हो
इस गीत में राम के वनवास का जिक्र किया गया है। राम लखन दोनों भैया साथ में सीता के साथ बन को चले जा रहे हैं। सारी नगरी रो रही है। महल, अटारी, पूरी नगरी रो रही है और निराशा में डूब रही है। अयोध्या के राजसिंहासन को छोड़कर रामजी कैसे वन वन भटकेंगे ? फूल के समान इनका शरीर है जो अब कांटों पर चलेंगे और कांटें ही आसन होंगे। अब चौदह बरस कैसे कटेंगे, कब हम इनको देखेंगे? लक्ष्मण बिलख बिलख कर रो रहे हैं कि भैया भाभी के दुख को देकर रहा नहीं जाता। आंखों से आंसू झर झर बह रहे हैं। इधर कैकेई को दोष देते हुए कहता है कि राजा दशरथ से वचन मांगकर कैसा अनर्थ कर दिया। दशरथ ने तो रघुकुल की रीत को निभाया लेकिन तुमने ऐसा करके सगुन में असगुन का कारण बन गई हो। तुम्हारे कही कारण यह हुआ है धिक्कार है तुम्हें। तुमने सब कुछ विनाश की तरफ धकेल दिया है।
No comments